क्या बदल रहा है?
पहलू | विवरण |
---|
नियमों का नाम | “Repetitious Content” अब “Inauthentic Content” कहलाएगा |
क्या बदल गया है? | पहले से मौजूद नियमों को और स्पष्ट किया गया है—अब mass-produced, repetitive, AI‑generated (जब कमीशन सफाई ना हो) सामग्री पर सख्ती होगी |
क्या नहीं बदला? | YPP के लिए eligibility criteria जैसे कि 1000 subscribers, 4000 watch‑hours या 10M Shorts views, वही बने रहेंगे |
किस प्रकार की सामग्री प्रभावित होगी?
Danger Zone:
AI‑voice‑over वीडियो बिना Original narration या human insight के |
Templates पर आधारित mass‑produced content |
Clip compilations या slideshows जिसमें रचनात्मक परिवर्तन न हो |
Safe
Zone:Reaction/compilation वीडियो जब उनमें personal commentary, edits या मूल्य जोड़ते हैं |
AI का उपयोग तब स्वीकार्य है जब आप creativity, narration या editing में human योगदान जोड़ते हैं |
आपके जैसे भारतीय क्रिएटर के लिए ये क्या मायने रखते हैं?
अगर आप वीडियो में अपनी आवाज़, नजरिए या एडिटिंग डालते हैं, तो आप सुरक्षित हैं।
लेकिन कंटेंट सिर्फ AI-generated voice-over + stock clips की तरह दिखती है, तो मॉनेटाइजेशन बंद हो सकता है या चेतावनी मिल सकती है।
YouTube अब इन चैनलों की पहचान अधिक तेज़ी से करेगा, लेकिन पूरी तरह से इनकी मॉनेटाइजेशन रोक नहीं रहा—बस बिना मूल्य युक्त कंटेंट की सीमा तय होगी
आपको क्या करना चाहिए?
अपने वीडियो की समीक्षा करें — क्या हर वीडियो में आपकी व्यक्तिगत सोच या human touch है?
AI इस्तेमाल करें, लेकिन उसे human creativity के साथ balance करें।
रीज़निंग जोड़ें—commentary, analysis, storytelling, emotive edits—ताकि वीडियो “अलग” दिखें और मूल्य जोड़ें।
अगर कोई वीडियो outdated लगे, तो उसे अपग्रेड करें या अनलिस्ट करें।
सारांश
15 जुलाई से policy “ऑथेंटिक” और “नॉन-ऑथेंटिक” कंटेंट में बदल चुकी है।
Mass-produced, low-effort videos की मॉनेटाइजेशन सीमित या हट सकती है।
आपकी content still safe है, अगर आप इसमें ऑरिजिनल आइडिया और human मार्क डालते हैं।